राजस्थान के जैसलमेर जिला स्थित कुलधारा। यह गांव 170 सालों से विरान पड़ा है। कुलधरा 84 गांवों का गढ़ था। कुलधारा के गांव वाले अपनी इज्जत आबरू बचाने के लिए रातों-रात गांव को खाली करके चल गए। और जाते-जाते श्राप भी देते गए। यह गांव कभी नहीं वस पाएगा। यह गांव वीरान ही रहेगा। इस गांव में जो भी वसने आएगा वो तबाह और बर्बाद हो जाएगा। उसी दिन से यह गांव विरान पड़ा हुआ है।
कुलधारा में ,कभी यहां बाजार लगा करते थे, घर आंगन में बच्चे खेला -कुदा करते थे, पिलावाल ब्राह्मणों को चलने की आहट होती थी, चूड़ी की खनक ,पायलों की आवाजें यहां के माहौल को खुशहाल बनाता था। आज कुलधारा विरान पड़ा हुआ है।
कुलधारा की कहानी
कुलधरा इतना विकसित गांव अचानक वीरान कैसे हो गया? इसके पीछे एक कहानी है ।इस गांव में अय्यास दीवान सलाम सिंह रहा करता था। उसकी नजर गांव की खूबसूरत मुखिया की बेटी पर थी। मुखिया की बेटी देखने में अति सुंदर थी ।दीवान सलाम सिंह उस लड़की से शादी करने के लिए पागल था । दीवान सलाम सिंह इच्छा यही था ,उस लड़की से शादी जल्द से जल्द शादी करने का। दीवान अपने आदमी से संदेश भेजवाया उस लड़की के बाप के पास। अगले पूर्णमासी में उस लड़की से शादी अगर नहीं हुई तो इस गांव को तबाह और बर्बाद कर दूंगा। गांवों वाले उस वक्त बड़े मुश्किल में पड़ गए थे। "गांव बचाने है या लड़की को" ।यही निर्णय लेने के लिए सभी 84 गांवों वाले एक मंदिर पर इकट्ठा हुए। उस महापंचायतों का फैसला हुआ "चाहे कुछ भी हो जाए। मैं अपनी लड़की को उस दीवान के यहां नहीं भेजूंगा।"कुलधारा के सभी 84 गांव वालों रातों-रात गांवों को लिए हमेशा के लिए छोड़कर चले गए ,और जाते-जाते श्राप भी देते गए।" इस गांव में जो भी वसेगा वह तबाह बर्बाद हो जाएगा। यह गांव कभी भविष्य में नहीं वस सकता है।,,
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